जब अपने लिए गुरु चुनने की बात आयी तो हनुमान जी ने सोचा सूर्यदेव से उत्तम गुरु कौन हो सकता है। सृष्टि के प्रारम्भ से लेकर वे संसार में भ्रमण करते हुए सब कुछ देखते रहते हैं। संसार में ऐसा कोई ज्ञान नहीं है जो उनसे छिपा हो।
ऐसा सोचकर हनुमान जी सूर्यदेव के पास गए और उनको अपना गुरु बनने के लिए आग्रह किया। सूर्यदेव ने कहा,"मैं तो सारा समय भ्रमण करता रहता हूँ, मेरे पास तुम्हें शिक्षा देने के लिए समय कहाँ है?"
इस पर हनुमान जी ने उत्तर दिया,"मेरे पास इसका एक उपाय है। मैं आपके साथ-साथ भ्रमण करूँगा और आप मुझे अपना काम करते हुए शिक्षा दे सकते हैं।" सूर्यदेव ने हनुमान जी की बात मान ली और हनुमान जी सूर्यदेव के साथ रहकर उनसे शिक्षा लेने लगे।
जब उनकी शिक्षा पूरी हुई तो उन्होंने सूर्यदेव से गुरु दक्षिणा मांगने को कहा। सूर्यदेव ने कहा,"ये सारा संसार मेरे प्रकाश से चलता है, मुझे भला किस वस्तु की आवश्यकता हो सकती है।"
हनुमान जी ने कहा,"बिना गुरु दक्षिणा के ज्ञान अधूरा है। अगर आपने मुझसे गुरु दक्षिणा नहीं ली तो ये सारा ज्ञान व्यर्थ हो जायेगा।"
हनुमान जी की बात को सुनकर सूर्यदेव ने कहा,"ऐसी बात है तो तुम मेरे पुत्र सुग्रीव की सदा रक्षा करना।" Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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