सुग्रीव की वानर सेना के सेनापति नल, देवताओं के शिल्पकार भगवान् विश्वकर्मा के और नील अग्निदेव के पुत्र थे। वे दोनों ही निपुण अभियंता थे।
सीता माता को वापस लाने के लिए भगवान् राम ने जल के देवता वरुण देव से समुद्र के बीच से रास्ता बनाकर वानर सेना को निकलने देने की प्रार्थना की परन्तु वरुण देव ने उनकी प्रार्थना नहीं सुनी। भगवान् राम ने क्रोध में आकर समुद्र को सुखाने के लिए अपना धनुष निकला तो वरुण देव ने प्रकट होकर नल और नील से समुद्र पर पल बनवाने की सलाह दी।
एक और मान्यता के अनुसार नल और नील बचपन में बहुत शरारती थे और आश्रम में रहने वाले ऋषियों का सामान तालाब में फेंक के उन्हें चिढ़ाते थे।
एक बार ऋषियों ने क्रोधित होकर उनको शाप दे दिया की वो जिस भी वस्तु का हाथ लगाएंगे वो पानी में नहीं डूबेगी अपितु तैरती रहेगी।
ऋषियों का वही शाप समुद्र सेतु बनाने में वरदान साबित हुआ। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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